‘Nilachala Bhajan’ (नीळाचळ भजन)/
Oriya Song By : Poet Manohar Meher
[Taken from the Book ‘Manohar Padyavali’]
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नीळाचळ भजन (ओड़िआ गीत)
रचना : कवि मनोहर मेहेर
[‘मनोहर पद्यावली’ पुस्तकरु आनीत ]
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जय जय जगन्नाथ हे नीळगिरि-नायक,
अभिनब घन-बरन भक्त-सुखदायक ॥ १ ॥
कन्धे शोहे य़ज्ञोपबीत अग्निसुत सुढ़ळ,
हाटक मुकुट मस्तके गभा दयणामाळ ॥ २ ॥
गोरचना चिता ललाटे नब तपन जिणि,
तुळसीर माळा कण्ठरे हृदे कौस्तुभ मणि ॥ ३ ॥
शङ्ख चक्र गदा शारङ्ग शोहे चतुर कर,
चन्दने चर्च्चित श्रीअङ्ग भूषा पीत अम्बर ॥ ४ ॥
कळाश्रीबदन कमळ- नेत्र जगमोहन,
अलौकिक दिव्य रूपकु सरि नुहे मदन ॥ ५ ॥
मृदु हासमय बदनुँ किबा अमृत झरे,
हसाइ रसाइ बसिछ प्रभु नीळकन्दरे ॥ ६ ॥
सङ्गे बळभद्र सुभद्रा बिजे बड़ देउळे,
अपूरुब तिनि मूरति बिराजिछ निश्चळे ॥ ७ ॥
क्षेत्रबर पुरुषोत्तमे अछ हे जगन्नाथ,
लोके चारिबर्ग लभिण होइथान्ति कृतार्थ ॥ ८ ॥
हरि हरिबोल शबदे पुरी पड़े उछुळि,
भक्तगण प्रेमे नाचन्ति बजाइ करताळि ॥ ९ ॥
निर्माल्य प्रसाद भुञ्जिण मन सबुरि तोष,
भाबग्राही प्रभु काळिआ खण्ड क्लेश अशेष ॥ १० ॥
फरहर उड़े पाबन नीळचक्ररे ध्वज,
पतिततारणे बिराजि अछ देबाधिराज ॥ ११ ॥
करुणा-सागर श्रीहरि केबे देब दर्शन,
जणाए माळती-नन्दन मनोहर अज्ञान ॥ १२ ॥
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Known as 'Gana-Kavi' or 'Palli-Kavi' of Western Orissa in the domain of Oriya Literature.
Sunday, June 26, 2011
Saturday, June 11, 2011
Tuesday, February 8, 2011
शारदा-वन्दना (Śāradā -Vandanā) Manohar Meher
Salutations to Goddess Śāradā
Śāradā -Vandanā (Oriya Song)
By Poet Manohar Meher
(Extracted from the Book ‘ MANOHAR- PADYĀVALĪ ’ published in 1985)
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शारदा-वन्दना (ओड़िआ गीत)
रचयिता : कवि मनोहर मेहेर
(‘मनोहर-पद्यावली’ पुस्तकरु गृहीत)
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बन्दइँ शारदा मागो बिष्णुङ्क बनिता,
श्वेत-पद्मासनी देबी बिधाताङ्क सुता । (१)
ओंकार-सम्भूता मागो बामा मध्ये जिता,
कबिजनमानङ्कर बरदात्री माता । (२)
सप्त स्वरे बीणा-नादे मोहु बिष्णु-मन,
गान्धार रागे आळाप करु तान मान । (३)
तोर सुप्रसादे मूर्ख हुअइ सुकबि,
झङ्कड़-बासिनी मागो श्रीशारळा देबी । (४)
भक्ति- उपहार घेन पद दिअ मात !
कहे मनोहर शिरे य़ोड़ि बेनि हात । (५)
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Śāradā -Vandanā (Oriya Song)
By Poet Manohar Meher
(Extracted from the Book ‘ MANOHAR- PADYĀVALĪ ’ published in 1985)
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शारदा-वन्दना (ओड़िआ गीत)
रचयिता : कवि मनोहर मेहेर
(‘मनोहर-पद्यावली’ पुस्तकरु गृहीत)
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बन्दइँ शारदा मागो बिष्णुङ्क बनिता,
श्वेत-पद्मासनी देबी बिधाताङ्क सुता । (१)
ओंकार-सम्भूता मागो बामा मध्ये जिता,
कबिजनमानङ्कर बरदात्री माता । (२)
सप्त स्वरे बीणा-नादे मोहु बिष्णु-मन,
गान्धार रागे आळाप करु तान मान । (३)
तोर सुप्रसादे मूर्ख हुअइ सुकबि,
झङ्कड़-बासिनी मागो श्रीशारळा देबी । (४)
भक्ति- उपहार घेन पद दिअ मात !
कहे मनोहर शिरे य़ोड़ि बेनि हात । (५)
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सरस्वती-वन्दना (Sarasvatī -Vandanā) Manohar Meher
Salutations to Goddess Sarasvatī
Sarasvatī -Vandanā (Oriya Song)
By Poet Manohar Meher
(Taken from the Book ‘MANOHAR - PADYĀVALĪ ’ published in 1985)
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सरस्वती-वन्दना (ओड़िआ गीत)
रचयिता : कवि मनोहर मेहेर
(‘मनोहर-पद्यावली’ पुस्तकरु गृहीत)
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मा शारदे !
बिराजिछु सबुरि हृदे ॥ (पद)
तो बिना आन नाहिँ
जगत मध्ये केहि
अज्ञान-नाशिनी बरदे ॥ (१)
मात बिष्णु-बल्लभी
पुराण कलु भाबि
तो तहुँ कबि भबे उदे ॥ (२)
ॐकारु तो जनम
मोहिलु नारायण
बीणा सपत स्वर नादे ॥ (३)
बयाळिश रागर
अछि य़ा अधिकार
तान मान गान आह्लादे ॥ (४)
कहइ मनोहर
कपाळे य़ोड़ि कर
मो चित्त थाउ तोर पादे ॥ (५)
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Sarasvatī -Vandanā (Oriya Song)
By Poet Manohar Meher
(Taken from the Book ‘MANOHAR - PADYĀVALĪ ’ published in 1985)
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सरस्वती-वन्दना (ओड़िआ गीत)
रचयिता : कवि मनोहर मेहेर
(‘मनोहर-पद्यावली’ पुस्तकरु गृहीत)
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मा शारदे !
बिराजिछु सबुरि हृदे ॥ (पद)
तो बिना आन नाहिँ
जगत मध्ये केहि
अज्ञान-नाशिनी बरदे ॥ (१)
मात बिष्णु-बल्लभी
पुराण कलु भाबि
तो तहुँ कबि भबे उदे ॥ (२)
ॐकारु तो जनम
मोहिलु नारायण
बीणा सपत स्वर नादे ॥ (३)
बयाळिश रागर
अछि य़ा अधिकार
तान मान गान आह्लादे ॥ (४)
कहइ मनोहर
कपाळे य़ोड़ि कर
मो चित्त थाउ तोर पादे ॥ (५)
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